मुक्तक
मेरे इन होठों पर हरदम पैगाम तुम्हारा ही होगा मुझको ठुकराने से ठोकर बदनाम तुम्हारा ही होगा भले ही तुम
Read Moreबचपन कंगाली में बीता। विवाह हुआ। सब कुछ ठीक तीन छोटे छोटे बच्चों को छोड़कर पति चल बसा। जैसे तैसे
Read Moreसबको आता है सुकूँ आग क्यों लगाने में। है बुरी बात यही एक, बस ज़माने में।। अभी तो शिरकतें
Read Moreभारती की आन पे वो, आज मिटने को चला हाथ में शमशीर लेके, काटने रिपु का गला पूजता है वो
Read Moreबचपन का संसार बड़ा सजीला रंग रंगीला खेल खिलौनो का संसार | बचपन मे हम खेला करते , गुड्डे गुड़िया
Read Moreतेजी से बदलते इस युग में खबरें भी तेजी से बदलती रहती हैं. तेजी से बदलती इन खबरों को सहेजने
Read Moreक्यों? राख हथेली पर रखूँ सवाल करूँ हल्के फुल्के उलझे अपनों से अभी राख चंद मिनटों में उड़ जाएगी या
Read More(डिस्क्लेमर – इस अचार संहिता का लोकसभा चुनाव से कुछ लेना-देना नहीं है। कृपया गलतफहमी न पालें।) किचन आयोग ने
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