कविता

चांद से पूछो कभी

नील गगन के स्वप्निल आंगन में,
अगणित तारों संग विचरता चांद।
शांत अविरल आसमान में,
पूरी रात का आधा चांद।
सूरज के प्रकाश से रोशन,
चांदनी बिखेरता दूधिया चांद।
वैज्ञानिकों का कौतूहल बढ़ाता,
आधी जानकारी का पूरा चांद।
सबके सुख दुख का संगी,
सबकी तनहाई का साथी चांद।

कवियों की कविता का प्राण,
प्रेमियों की व्यथा का बखान।
मौन की भी जो भाषा समझे,
पूछो कभी उस चांद का हाल।

क्यों सागर को विचलित करता?
क्या अपना मन हल्का करता?
धरती के क्यों चक्कर है लगाता?
क्या अपनी तन्हाई दूर भगाता?
पूनम की क्यों  छटा बिखरा ता?
क्या अंधियारे को है वह चिढ़ाता?
इन सब प्रश्नों पर करो विचार,
कभी तो पूछो चांद से हाल।।

— कल्पना सिंह

*कल्पना सिंह

Address: 16/1498,'chandranarayanam' Behind Pawar Gas Godown, Adarsh Nagar, Bara ,Rewa (M.P.) Pin number: 486001 Mobile number: 9893956115 E mail address: [email protected]