गीतिका/ग़ज़ल

चाहता है

मेरी मेहनत पे जीना चाहता है
वो मेरा ख़ून पीना चाहता है
संवरना है मुझे भी आईने में
किसी का दिल हसीना चाहता है
ग़रीबी इतनी अंदर आ गई है
फटा कपड़ा भी सीना चाहता है
वही जिनसे हमारी दोस्ती थी
हमारा ख़ून पीना चाहता है
बड़ी उल्फ़त से माँ को रख रहा है
वो घर में ही मदीना चाहता है
मुझे ही चून लेगा शह्र भर में
वो लड़का है नगीना चाहता है
भला बोलो बुराई क्या है इसमें
जो कुछ पैसा महीना चाहता है

—  डा जियाउर रहमान जाफरी 

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

जन्म -मुज़फ़रा, बेगूसराय -हिन्दी, अंग्रेजी, शिक्षा शास्त्र में एम ए, बी एड, और परकारिता, हिन्दी से पीएच डी -खुले दरीचे की खुशबू खुशबू छू कर आई है परवीन शाकिर की शायरी चाँद हमारी मुट्ठी में है मैं आपी से नहीं बोलती लड़की तब हंसती है (संपादन ) .......आदि पुस्तकें प्रकाशित -हिन्दी, उर्दू, और मैथिली की पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन -बिहार सरकार का आपदा प्रबंधन लेखन पुरुस्कार प्राप्त -आकाशवाणी और टीवी चैनल्स में नियमित प्रसारण -फिलवक़्त -बिहार सरकार में अध्यापन संपर्क -माफ़ी, अस्थावां, नालंदा, बिहार 8031071 मो- 9934847941, 6205254255