आदत नहीं है
दर्दे दिल को जताने की आदत नहीं है
बेवजह यूँ सताने की आदत नहीं है
छोड़ देती मैं भी बात करना मगर
कि मुझे रूठ जाने की आदत नहीं है
प्यार दिल में सम्हाले छुपाये रखी
क्यों कि होठों पे लाने की आदत नहीं है
भूलूँ कैसे तूझे बोल दे तू ही अब
कि मुझे भूल जाने की आदत नहीं है
करले तू सितम जितना भी सनम
मुझे घबराने की आदत नहीं है!
सभी कसमें निभाये मैंने की मुझे
वचन झुठलाने की आदत नहीं है
करती हूँ मैं तुझपर हमेशा यकीं
कि मुझे आजमाने की आदत नहीं है
तेरी हर खुशी मेरी भी है खुशी
अतः जलने जलाने की आदत नहीं है
मानती है किरण बात तेरी सभी
क्योंकि बात बढ़ाने की आदत नही है