सामाजिक

नागालैंड की चांग जनजाति

चांग नागालैंड की एक प्रमुख जनजाति है I इस समुदाय को पडोसी जनजातियाँ भिन्न –भिन्न नामों से संबोधित करती हैं I इसे ‘चंगाई’, ‘चांगरु’ और ‘मोचुमी’ भी कहा जाता है I ‘चांग’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘चोंगनु’ (पीपल वृक्ष) से मानी जाती है I ऐसा विश्वास है कि इस जनजाति का उद्भव एक विशिष्ट प्रकार के पीपल वृक्ष से हुआ था I वह महान मिथकीय वृक्ष अत्यंत लंबा, विशाल और छतनार था एवं इसे दूर से ही देखा जा सकता था I वह पीपल का पेड़ विशिष्ट आकृति – प्रकृति का था I इसलिए इसे ‘चांगन्यू’ कहा जाता था I चांग बोली में ‘चांगन्यू’ का अर्थ ‘सीधा खड़ा’ या ‘अत्यधिक लंबा’ होता है I चांग की मौखिक परम्पराओं और दंतकथाओं के अनुसार पहले सृष्टि के सभी प्राणी एक साथ रहते थे और एक – दूसरे की भाषा समझते थे I इस जनजाति के संबंध में एक दूसरी मान्यता है कि चांग के पूर्वज पूरब से नागालैंड में आए थे I इसलिए इन्हें ‘चांग’ कहा गया I ‘चांग’ का अर्थ स्थानीय भाषा में पूरबी होता है I कुछ दंतकथाओं के अनुसार चांग के पूर्वज आओ थे I चांग समुदाय के लोग नागालैंड के ट्यूनसंग जिले में रहते हैं I ‘मोजुंगजमाई’ अथवा ‘हाकू’ इनका प्रमुख गाँव है I वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस जनजाति की जनसंख्या 64226 है I चांग समुदाय में गोत्र का स्पष्ट विभाजन नहीं है लेकिन गोत्र के संबंध में अनेक मिथक प्रचलित हैं I चांग समुदाय की पौराणिक कथा के अनुसार उनके पूर्वज जंगली जानवरों के साथ रहते थे, अतः इनके गोत्र जानवरों से प्रभावित हैं I ऐसा कहा जाता है कि ओंग गोत्र में बाघ की आत्मा है जबकि अन्य गोत्रों में जंगली बिल्लियों और पक्षियों (कौवे और चील) की आत्मा है । ब्रज बिहारी कुमार ने चांग समुदाय के पांच गोत्रों की सूची दी है जिनके नाम हैं – चोंगपो, उंग, लोमो, कांगशू और कुदुमजी । अन्य नागा जनजातियों की तरह चांग समुदाय भी पूर्व-ब्रिटिश युग में हेडहंटिंग करता था। जो व्यक्ति अधिक संख्या में हेडहंटिंग करता था उसे समाज में अधिक सम्मान दिया जाता था I अधिक हेडहंटिंग करनेवाले व्यक्ति को लाकबो (चीफ) का पद दिया जाता था I चीफ ही गांव के विवादों का निपटारा करता था। वह व्यक्ति ही अपने घर में विशेष सजावट करने और त्योहारों के दौरान विशेष आनुष्ठानिक परिधान धारण करने का अधिकारी होता था। हेडहंटिंग की कुप्रथा समाप्त होने के बाद ग्रामीण विवादों का निपटारा अनौपचारिक रूप से चुने गए नेताओं की एक परिषद द्वारा किया जाता था। यह परिषद झूम खेती के लिए खेतों का चयन और त्योहार की तारीखें निर्धारित करती थी ।
चांग जनजाति के लोग गाँव के केन्द्रीय स्थल पर एक मचान (प्लेटफार्म) का निर्माण करते थे जिसे “मुलांग शोन” कहते थे I यह सार्वजनिक अदालत के रूप में काम करता था । इस मंच पर ग्रामीण प्रशासन, खेती, त्योहार, विवाह और भूमि संबंधी मुद्दों पर चर्चा होती थी I बाद में नागालैंड सरकार ने सभी गांवों में ग्राम विकास बोर्डों की स्थापना की। ग्राम विकास बोर्ड में एक महिला सदस्य सहित 5-6 सदस्य होते हैं। यह गाँव में विकास योजनाओं को कार्यान्वित करता है। ग्राम परिषद में विभिन्न गोत्रों या क्षेत्रों (खेल) से 6-7 वयस्क पुरुषों को शामिल किया जाता है । यह परिषद गांव में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होती है I यह परिषद पारंपरिक कानूनों के अनुसार नागरिक विवादों को सुलझाती है, अपराधियों की गिरफ्तारी की व्यवस्था करती है और सरकारी नियमों को लागू करती है। धर्म की दृष्टि से चांग समुदाय मूल रूप से प्रकृतिपूजक अथवा ब्रह्मवादी था I इस जनजाति के लोग जल, आकाश, जंगल आदि प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करते थे, लेकिन अब लगभग 99 प्रतिशत लोगों ने ईसाई धर्म को अंगीकार कर लिया है I चांग समुदाय का धर्म परिवर्तन वर्ष 1936 से शुरू हुआ I वर्ष 1940 में चांग नागा बैपटिस्ट एसोसिएशन का गठन हुआ जिसके बाद ईसाईकरण में और तेजी आई I इस जनजाति के लोग अपनी चांग भाषा बोलते हैं जो तिब्बती – बर्मी परिवार की भाषा है I अन्य जनजातियों से ये लोग नागामीज में बातचीत करते हैं I शिक्षित चांग हिंदी और अंग्रेजी भी बोलते हैं I इनका मुख्य भोजन चावल है I सभी लोग माँसाहारी होते हैं और सभी जानवरों व पक्षियों के मांस खाते हैं I दूध, फल और सब्जियां इनके भोजन की आदतों में शामिल नहीं है I चावल से बनी मदिरा इनका नियमित पेय है परंतु ईसाईकरण के बाद अनेक लोग मदिरा का सेवन नहीं करते हैं I यह एक पितृसत्तात्मक समाज है और पैतृक संपत्ति पर पुरुषों का अधिकार होता है I एकल परिवार प्रथा प्रचलित है I “नकन्यु लेम” इस समुदाय का प्रमुख त्योहार है जो जुलाई – अगस्त में छह दिनों तक मनाया जाता है I इस त्योहार में मृत पूर्वजों और ईश्वर की पूजा – प्रार्थना की जाती है I इस त्योहार के दौरान शादी – विवाह करना प्रतिबंधित है I नकन्यु लेम के अतिरिक्त इस समुदाय के अन्य त्योहार हैं – पो – अंग्लम अथवा पोअंग लेम, जेन्यू लेम, मुओंग लेम, मोन्यु लेम और कुनदंग लेम I इस जनजाति की आजीविका का मुख्य साधन कृषि है I ये झूम खेती करते हैं I धान, बाजरा, दाल और सब्जियां इनकी मुख्य फसल है I

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें : 1.अरुणाचल का लोकजीवन (2003)-समीक्षा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य(2009)–राधा पब्लिकेशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 3.हिंदी सेवी संस्था कोश (2009)–स्वयं लेखक द्वारा प्रकाशित 4.राजभाषा विमर्श (2009)–नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय (2010)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा, विश्वभाषा (सं.2013)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत (2018, दूसरा संस्करण 2021)–हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ (2021)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली – 110002 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह-2020)–अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 17.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य(2021) अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य(2021)-मित्तल पब्लिकेशन, नई दिल्ली 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति(2021)-हंस प्रकाशन, नई दिल्ली मोबाइल-9868200085, ईमेल:- bkscgwb@gmail.com