लघुकथा

कोशिश (लघुकथा)

झटके पर झटका लग रहा था.
”ट्रंप की हार निश्चित” जैसे समाचार बराबर आ रहे थे. झटका तो लगना ही था!
”जीत के जश्न में मशगूल जो बाइडेन, डोनाल्ड ट्रंप बोले- ये लोग चोर हैं, यह चोरी का चुनाव था” ट्रंप की प्रतिक्रिया थी. इस प्रतिक्रिया में भड़कपन झलक रहा था.

तुरंत भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्ते की बुनियाद का समाचार भी आ गया- ”भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्ते की बुनियाद के हमेशा से हिमायती रहे हैं बाइडेन, इतिहास रहा है गवाह” जो बाइडेन की जीत का स्वागत जो करना था.

इधर Exit Poll के रुझान ”बिहार चुनाव: Exit Poll में महागठबंधन की सरकार——” से झटका नीतीश को भी लगना था. उदासी ने माहौल को मायूस कर दिया था.

तेजस्वी का तेज कुछ बुलंद हो गया था. हो भी क्यों न! जीत की उम्मीद जो जगी थी!

झटका कश्मीर के बिलाल अहमद को भी लगा था. वह बचपन से अपने पिता के साथ राज्य की ‘वुलर झील’ पर कूड़ा उठाने जाते थे. एक दिन वही ‘वुलर झील’ उसके पिता के लिए ‘किलर झील’ बन गई. झील के जहरीले पानी ने ले ली पिता की जान. कई साल पहले पिता हमेशा की तरह झील से कचरा निकाल रहे थे. इसी दौरान उनका संतुलन बिगड़ा और वह नाव से फिसकर झील में जा गिरे. इस हादसे में उनका एक पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया. जब उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया, तो परिवार को पता चला कि उन्हें पैर का कैंसर है और झील के जहरीले पानी के कारण ऐसा हुआ. कुछ ही महीनों में उनका निधन हो गया और परिवार की जिम्मेदारी बलाल पर आ गई.

फिर क्या था! बिलाल न भड़के, न मायूस और उदास हुए. मन में एक संकल्प लेकर लगातार सात साल की कोशिश से बेटे ने झील से गंदगी साफ कर दी. एक दिन में वो 10 से 15 किलो प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन और और अन्य कचरा निकाल लेते हैं. इसके बाद वो कचरे को एक कबाड़ीवाले को बेच देते हैं, जिससे उन्हें प्रतिदिन 150-200 रुपये मिल जाते.

एक रोज कबाड़ीवाले ने बिलाल से कहा, ‘क्या तुम जानते हो अब तक तुम 12,000 किलो प्लास्टिक कचरा मेरे पास ला चुके हो?’ तब बिलाल ने सोचा कि अगर इस काम में उसके दोस्त मदद करें तो झील जल्दी साफ हो जाएगी, जिसके बाद उसने दोस्तों और अन्य छात्रों को झील की सफाई को लेकर प्रोत्साहित किया.

बिलाल की कोशिश रंग लाई! झील की सफाई का काम तेज हो गया! इलाके वाले भी बिलाल की मदद करने लगे. कूड़ेवाले के बजाय बिलाल को अब सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में जाना जाने लगा.

कश्मीर के बिलाल अहमद डार की इस कोशिश की कहानी ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ ने इंस्टाग्राम पर शेयर की है.

अब तो झटके को भी झटका लगना ही था! कोशिश का पलड़ा भारी जो था!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कोशिश (लघुकथा)

  • लीला तिवानी

    झटका अभी जारी है
    चीन ने अगले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को बधाई देने से इनकार किया
    चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में विजेता के तौर पर उभरे जो बाइडन को बधाई देने से इनकार किया
    इसे लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी कानून और प्रक्रियाओं के तहत तय होंगे नतीजे
    चीन के अलावा रूस और मैक्सिको भी ऐसे प्रमुख देश हैं जिन्होंने जो बाइडन को बधाई नहीं दी है

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