संस्मरण

मेरा लेखन और 2020

माँ शारदे की बड़ी कृपा हुई कि पिछले बीस वर्षों से बंद चल रहा मेरा लेखन कोरोना और फिर पक्षाघात झेलने के बाद फिर शुरु हो गया।ऐसा विभिन्न समूहों पर लाइव काव्य पाठ सुनते और पटलों पर लोगों की रचनाओं को पढ़ते रहने के कारण हुआ।फिर जब एक बार लेखन शुरु हुआ, तो फिर मैंंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।अभी तक मैं पाँच सौ से अधिक विभिन्न विधा की रचनाओं का सृजन इन पाँच छ:महीनों में कर चुका हूँ।यही नहीं 200 से अधिक मेरी रचनाएँ देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं,बेवसाइट, ब्लागस,एप्स में छप चुकी हैं,जो अनवरत जारी है। अमेरिकी सा.पत्र हम हिंदुस्तानी में भी कई रचनाएं छप चुकी हैं।
इस बीच साहित्य संगम संस्थान असम इकाई का अधीक्षक बनने के अलावा, साहित्यिक आस्था परिवार का रा.उपाध्यक्ष,हिंददेश ई पत्रिका के साहित्य संपादक,हिंददेश परिवार का मीडिया प्रभारी, उ.प्र.इकाई का प्रभारी,लफ्जों का कमाल के संरक्षक के अलावा अनेक साहित्यिक संस्थाओं में बड़ी जिम्मेदारी के अलावा भी योगदान दे रहे हैं।
ईश्वरीय कृपा से जैन विश्वविद्यालय बैंगलुरू में ‘भारतीय संस्कृति और बदलता परिवेश’ विषय पर वक्तव्य देने के लिए मुझे सम्मानित भी किया गया।
सा.सं.सं. द्वारा ‘संगम शिरोमणि’ सहित अनेक 100 के करीब सम्मान पत्र के अलावा देश के अलग अलग हिस्सों के अनेक पटलों/मंचों से भी मिले सम्मान सहित 175 से अधिक सम्मान पत्र जुलाई’2020 से अब तक मिल चुके हैं। अनेक लाइव कार्यक्रम करने का अवसर मिला,कुछ प्रस्तावित हैं।
कुछेक कवि गोष्ठियों की अध्यक्षता करने का भी अवसर इसी के मध्य मिला।आज देश का शायद ही कोई हिस्सा है जहां लोग मुझे नाम से न जानते हो।देश विदेश से रचनाओं पर प्रतिक्रिया भी मेरे हौसले को बढ़ा रही है।
एक अन्य सौभाग्य यह भी कि मेरे लेखन की बदौलत मुझे देश के कुछ ऐसे लोग मुझसे मिले जिनसे अपने परिवार सा प्यार,दुलार अनवरत मिल रहा है।अनेक लोगों से मेरा संवाद होता रहता है।जो मेरे लिए प्रेरणा दायक भी होता है,कुछ सीखने को भी मिलता है।अनेक नवोदतों को प्रेरित कर आगे बढ़ाने का भी काम जारी कर रखा है,जो मुझे निजी सूकून देता है।क्योंकि उन्हें जब आगे बढ़ते देखता हूँ तो जो आत्मिक खुशी मिलती है,उसकी अभिव्यक्ति करना मुमकिन नहीं है।
मुझे देश के अलग अलग हिस्सों के ल नये नये लोगों से बात करना, उनसे कुछ सीखना,अपने अनुभव बाँटना अच्छा लगता है।जिस लाभ भी कि आज देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसे ऐसे लोगों का स्नेह, आशीर्वाद ही नहीं प्रेरणा और मार्गदर्शन मेरी सफलता के कारणों में शामिल हैं।जिनमें आ.गोपाल सहाय श्रीवास्तव(अहमदाबाद),आ.जय प्रकाश नारायण (आसनसोल),वरिष्ठ कवि डा.अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’ (बहराइच,उ.प्र.), साहित्यिक आस्था परिवार के परिनियामक आ. कुसुम हिंदू और अध्यक्ष/कवि आ.दुर्गेश दुर्लभ ,जैन(संभाव्य )विश्वविद्यालय बेंगलुरु की हिंदी विभाग की अध्यक्षा आ.राखी के.शाह,हिंददेश परिवार और उसकी अध्यक्षा बहन आ.अर्चना पाण्डेय’अर्चि’,बड़े भाई का सा सम्मान दे रही छोटी बहन,साहित्यकार आ.ज्योति सिन्हा(मुजफ्फरपुर), हमारे शुभचिंतक, प्रेरक मार्गदर्शक,कलम के धनी आ. बजरंग लाल केजड़ीवाल(तिनसुकिया) और हमारे मित्र वरिष्ठ पत्रकार, कवि आ.अमित कुमार बिजनौरी(बिजनौर, उ.प्र.) और हमारे लाड़ले प्रिय अनुज अंकुर सिंह(जौनपुर,उ.प्र.) की अहम भूमिका मेरे लिए ईश्वर के वरदान जैसा है।
संक्षेप में सिर्फ़ इतना कि मात्र छ: माह में माँ की असीम कृपा का ऐसा असर हुआ कि जो मुझे मिला उसकी कल्पना मुझे दस सालों में भी मिलने की उम्मीद नहीं थी।कुछ ऐसा भी हुआ जिसकी कल्पना भी मेरे लिए असंभव थी। बस इतनी सी है मेरी 2020 की साहित्यिक यात्रा का अल्प अनुभव।
अंत में सिर्फ़ इतना ही कहूँगा कि खुद पर भरोसा रखिये और अपने को ऐसा बनाने की हरदम कोशिश करते रहें कि पद और सम्मान आपका पीछा करने को बाध्य हो जाय।
आप सभी के स्नेह ,प्यार, दुलार, आशीर्वाद की सतत आकांक्षा के साथ
जय माँ शारदे, शत शत नमन वंदन।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921