कविता

समय बड़ा बलवान

समय की अंजुली भर किरण जीने को मांगी थी,
तुमने नफरत और पश्चाताप का मन द्बार दिया.

अब तो लगता सब गुम हो गया बन दुत्कार सा,
उठती लहरों सा इच्छाओ पाया कृषक दुलार किया.

प्रभु तुमने तो जब मुरली को क्या छू दिया प्यार से
सूखी यमुना उफनती पाई जान दुलार रस-धार  जिया.

मेरी बुद्धिं तो भोली सी चमकती लहर की धार सी थी
सब कुछ बर्वाद किया लेकर साजिश कहर वक्त दिया.

बनी हालात पड़ा में समय की दोराही ले मार पर
पाया भी कुछ नहीं हुआ असहाय गिरा नजर हस्र हिया .

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल chandigarhemployed@gmail.com