कविता

हर बार

सोचकर तुमको
लिखता हूँ अपने जज्बात,
न चाहते हुए भी
टूट कर चाहता हूँ
तुमको हर बार।
सोच में मेरी
तुम हर पल ही रहे
मेरे पास।
पर जीवन पंथ में,
सुनकर औरों के बोल
हटते रहे तुम
मुझसे हर बार।
गला घोट कर भी
अपनी ख्वाहिशों का,
करता रहा तुमसे
मोहब्बत दिन और रात।
पर देखकर तुम
औरों की हंसी
दिल दुखाते रहे
मेरा हर बार।

राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233