कविता

तुम ही हो

कह दो समंदर से मुझे ,
जरूरत नहीं लहरों की ।
बस एक तुम ही हो जिंदगी में ,
तूफान लाने के लिए ।।
सवाल कुछ भी हो ,
जवाब तुम ही हो !
रास्ता कोई भी हो ,
मंजिल तुम ही हो !!
दुख कितना भी हो ,
खुशी तुम ही हो !
अरमान कितना भी हो ,
आरजू तुम ही हो !!
गुस्सा जितना भी हो ,
प्यार तुम ही हो !
ख्वाब कोई भी हो ,
तकदीर तुम ही हो !!
रंग कोई सा भी हो ,
तस्वीर तुम ही हो !
कर्म कैसा भी हो ,
जन्नत सिर्फ तुम ही हो !!
— मनोज शाह ‘मानस’ 

मनोज शाह 'मानस'

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