धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अक्ती तिहार (अक्षय तृतीया)

अक्ती तिहार ला बैशाख के तीसरा दिन पूरा भारत मा बड़ हँसी खुशी ले मनाथे । लेकिन छत्तीसगढ़ मा अक्ती तिहार के अलग महतम्म हे ये तिहार ला दूसर तिहार ले भी बड़ के मनाथे । अक्षय के अर्थ होथे कभू नइ मिटने वाला अउ कभू नइ सिराने वाला ये दिन ल भगवान विष्णु अउ लक्ष्मी माई के पूजा पाठ घलो करथे। ये दिन, दिन भर शुभ मुहूर्त रहिथे। अक्ती के दिन मनखे मन अपन बर सोना – चांदी  जमीन ,घर लेथे नवा घर गृह प्रवेश घलो करथे , सबो समाज मा अक्ती के दिन बर बिहाव घलो होथे ।

बिसेस अक्ती  के दिन –

अक्ती तिहार के दिन बिसेस अपन अपन मान्यता ले मनाथे
जइसे की।
1.अक्ती के दिन भगवान ब्रम्हा के पुत्र अक्षय कुमार के जनम होय रिहिसे।
2.अक्ती के दिन ही भगवान विष्णु के छठवा अवतार भगवान परशुराम के जयंती के रूप में घलो मनाथे।
3. अक्ती के दिन ही हमर सनातन धर्म मा जेन चार युग हे ओमा के सतयुग के सुरवात हा घलो अक्ति के दिन ले होय रहिस।
4.अक्ती के दिन जेन बनवास बेरा मा भगवान राम के सँगवारी बन के सीता माता के पता बर अपन बानर सेना ल लगा दिस वही सँगवारी सुग्रीव के घलो जनम अक्ती के ही दिन होय रहिस।
5. अक्ती के दिन हर अउ बिसेस हो जाथे इहि दिन  बेदव्यास हा भगवान गणेश संग  मिल के महाभारत लिखे के सुरवात करे रहिस।

अक्ती मा खेती किसानी के महत्तम-

हमर छत्तीसगढ़ मा माने जाथे की अक्ति तिहार के दिन ले खेती किसानी के सुरवात हो जाथे ये दिन गाँव के सियान मन  ठाकुर देव के पूजा पाठ करथें जेन ठाकुर देव हमार गाँव के मेढ़ मा रही के हमर रक्षा करथे। सियान मन बड़े बिहनिया ले जा के ठाकुर देव के पूजा पाठ करथे। दिया उदबत्ती जला के  अपन इच्छा ले कोनो चीला रोटी कोनो गेहूँ अउ लाई ता कोनो हर महुआ के भोग लगाथे अउ परसा दोना मा धान रखथे। ओखर बाद गाँव के लइका मन ला बला के ओखर पूजा करथे फेर वो लइका मन हर खेती किसानी के नाटक करथे ।धान बोवइ नागर जोताई कटाई मिंजाई ये सब के नाटक करथे। फिर सब परसा दोना के धान ला धर के अपन घर जाथे अउ फेर पूजा करवा के अपन संग कुदरी धर के खेत जाथे उहाँ परसा दोना के धान ल छिंच के कुदरी मारथे अउ भगवान ले कामना करथे की आसो बने सब के खेती किसानी होय कोनो ला पानी के कमी झन होय सब ला मेहनत के फल मिलय।

दान पुन के महतम्म-

अक्ती के दिन दान पुन के भारी महत्तम हे। अक्ती तिहार हर बइसाख मा होथे ओ बेरा भारी गरमी रइथे मनखे मन पियास मा पानी खोजथे ता ये दिन माटी के बने मरकी ल दान करे जाथे ओखर संग मा अपन हिसाब से दार ,चाउर ,साग ,कपड़ा, पइसा घलो दान करे जाथे दान ला गरीब मनखे  बावहन ल करथे लेकिन हमर छत्तीसगढ़ मा भाचा ला भगवान मानथे ता अक्ति के दिन ममा मन भाचा  के पाव पखारते और मरकी दान करथें ओखर सब मा जेन बनथे तेन घलो दान करथे अउ भाचा से आशीर्वाद लेथे।
हमर छत्तीसगढ़ में जेठ महीना मा भाचा दान के बढ़ महतम्म हे।

पूजा पाठ-

अक्ती के दिन गांव के लइका सियान मन बड़े बिहनिया ले नहा के अपन गाँव के देवी देवता मन के पूजा पाठ करथे।  माटी के मरकी मा जल चढ़ाथे अउ माटी के चुकिया मा  दार ,चाउर पानी अउ आमा या कांदा लगा के भगवान ला चढ़ाते। अउ अपन मनोकामना पूरा होय के आशीर्वाद लेथे।
गाँव के सियान मन ठाकुर देव के घलो पूजा पाठ करथें।

पुतरा पुतरी के बिहाव-

अक्ती  के तिहार के दिन भर शुभ मुहूर्त रहिथे ये दिन गाँव शहर सबो समाज मा बिहाव होथे लेकिन अक्ती के दिन गाँव के लइका मन हा माटी के पुतरा पुतरी के बिहाव करथे जेखर ले लइका मन मा भारी ख़ुशी रहिथे। तैयारी मा लइका मन हा अक्ती के दु दिन पहली ले सुरवात कर देथे जेमा गाँव के जम्मो लइका मन सकला के डिब्बा डिब्बी ला बजा के नाचत कूदत चुरमाटी जाथे फेर दूसर दिन देवतला अउ अक्ती के दिन सुघ्घर डारा, पाना, आमा के पत्ता  ला ला के सजाथे अउ तेल हरदी लगा के सुघ्घर पुतरा पुतरी के भाँवर पारथे अउ टिकावन मा पइसा देथे फेर घर मा अक्ति के दिन सब घर बरा सोहारी खीर अउ बने बने खाय के बनाय रहिथे जेन ल सब सँगवारी अउ घर के मन मिल के बारात के नास्ता समझ के खाथे।

।।अक्ति तिहार के सब झन ला गाड़ा गाड़ा बधाई।।

सोमेश देवांगन

सोमेश देवांगन

गोपीबन्द पारा पंडरिया जिला-कबीरधाम (छ.ग.) मो.न.-8962593570