कविता

हरियाली तीज

श्रावण मास तृतीया तिथि
शुक्ल पक्ष में
हरियाली तीज पर्व
हर्षोल्लास संग
प्रकृति की बिखरी
मनभावन छटा बीच
हरियाली संग में
होता ये पावन पर्व है।
निर्जला व्रत रख
हाथों में मेंहदी सजा
पैरों में सुर्ख महावर लगा
सोलह श्रृंगार किए
सजी धजी सुहागिनें
करती शिव गौरी की
आराधना वंदना,
माँगती अक्षय सुहाग का वरदान
फूली नहीं समाती हैं।
झूला झूलती सखियों संग
अल्हड़ मदमस्त सी,
चटख मेहंदी लगे हाथ देख,
मन ही मन इठलाती,शरमाती हैं।
मायके में सखियों संग
छेड़छाड़ करती
कजरी गीत गाती,
प्रियतम की यादों को
दिल से लगाये
मन ही मन हर्षाती हैं।
बेटी की खुशियां देख
हर्षित माँ का मन
आँचल में समेट अपने
दुआएं लुटाती है।
बेटी की मुस्कान देख
पिता की आँखें खुशी से
नम हो जाती हैं,
कल की नन्ही कली
आज फूल बन इतराती है,
माँ बाप के कलेजे को
ठंडक पहुँचाती है,
अक्षय सुहाग का आशीष पाती है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921