कविता

मिलना ख़ुशी का ज़िन्दगी में

मिलना ख़ुशी का ज़िन्दगी में – बे शक ना हो इनसान के हाथ में
मगर ख़ुशी से बिताना ज़िन्दगी को – तो है इनसान के हाथ में
लाख तरसाएं दुनिया की नेमतें – इनसान को ज़िनदगी में
मगर रखना जज़बातों को क़ाबू में – तो है इनसान के हाथ में
शकसत बार बार बे शक मिली हो – इनसान को ज़िनदगी में
मगर बरक़रार रखना जीत की कोशिश – तो है इनसान के हाथ में
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ढर बे शक लगता है आदमी को – आग के भडकते शोलों से
मगर बचा कर रखना अपने दामन को – तो है इनसान के हाथ में
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नज़रें बे शक लचकती हों – आदमी की हर मुलाकात पर
मगर रखना क़ाबू में अपने दिल को – तो है इनसान के हाथ में
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नज़र और नसीब बे शक ना- मिलते हों तक़दीर में — मदन —
मगर कोशिश दोनों को मिलाने की – तो है इनसान के हाथ में

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570