कविता

ज्ञान अज्ञान

जीवन में  खुशियां लाना है
तो ज्ञान की ज्योति जलाइए
अज्ञानता की कालिमा मिटाइए।
जो बीत गया सो बीत गया
अब भी निराश मत होइए
उम्मीदों की ज्योति जलाइए
अज्ञानता को पीछे ढकेलिए
ज्ञान की लौ जगमगाइए।
ज्ञान के बिना जीवन भारी पड़ेगा
अज्ञानता के बोझ तले
जीवन का आनंद न मिलेगा,
पश्चाताप में ही हर दिन कटेगा।
ज्ञान के बिना जीवन आसान नहीं है
अज्ञानता का बोझ उठाकर
मृत्यु के साये से कम नहीं है,
बस अपने ज्ञान चक्षु को खोलिये
ज्ञान के अमिट प्रकाश में कभी
अज्ञानता का नामोनिशान नहीं है।
जीवन का भार  हल्का हो जायेगा
बहुतेरी समस्याओं का हल
चुटकियों में ही मिल जायेगा,
ज्ञान की ज्योति के करीब भी.भला
अज्ञानता नहीं ठहर पायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921