कविता

हमारे परिवार का महत्व

आओ! बच्चों ! तुम्हें  सुनाएं,
अपने परिवार की कहानी,
जिन रिश्तों से मुझे स्नेह मिला,
वे हैं; दादा –दादी, ताई–ताऊ,
चाचा –चाची ,भैया– भाभी,
बुआ– फूफा  ,दीदी –जीजा,
तुम्हारी नानी उस घर की सबसे छोटी बहू ,
सास –ससुर, जेठ –जेठानी,
ननद–नंदोई ,देवर–देवरानी ,
संयुक्त था, हमारा परिवार।
हम पचास ,सदस्यों से घर हंसता,
हमारी एकता, हमारी ताकत ,
अपने पराए का कोई भेद नहीं,
अब ,एक छोटी –सी आंधी आ जाने पर,
हम विचलित हो जाते हैं,
एक  हमारे बाबूजी का परिवार ;
बड़े से तूफानों में भी,
हर सदस्य एक –दूसरे की कवच ,
बच्चों ! हमारे परिवार का यही है महत्व ,
तुम सब सुख –दु:ख हंसकर बांट लेना।
— चेतना चितेरी

चेतना सिंह 'चितेरी'

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