कविता

कब तक मौन रहोगे भगवान

कैसा दिन दिखलाया भगवान
मानव जग में बन गया शैतान
भूल गया अपनों की पहचान
पापी बना है गाँव में   महान

कैसा दिन दिखलाया भगवान
पथ से भटक गया है इन्सान
लुट गया मानवता की जहान
कौन कौन लेगा तुम इम्तहान

कैसा दिन दिखलाया भगवान
राक्षस सा बन गया है नादान
चढ़ गया नशा मन में है गुमान
भूल गया भला भी अपनी ईमान

कैसा दिन दिखलाया भगवान
कैसे कैसे रच दी है इन्सान
सभ्य जी रहे हैं  हो  गुमनाम
उथल पुथल मचा है सरेआम

कैसा दिन दिखलाया भगबान
गर्त में डुब गया है सम्मान
चोर बेईमान दिखलाता है शान
कब तक मौन रहोगे भगवान ?

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088