सामाजिक

कहते हैं ज्ञान बॉंटने से ज्ञान बढ़ता है

अपने बड़ों से हमने यही कहावत बचपन से सुनी है कि यदि आपके पास कोई ज्ञान है और आप उसे बॉंटते हैं तो वह ज्ञान आपका दुगना आपको प्राप्त होता है कहते हैं ज्ञान बांटने से ज्ञान बढ़ता है । तो फिर मन में आज एक सवाल उठा है कि हमारे भारत देश में आज शिक्षा ज्ञान इतनी महंगे दामों पर क्यों बिक रहा है आज हमारे भारत देश के बहुत से प्राइवेट स्कूलों को ले लीजिए या बहुत से भारत देश के समस्त राज्यों में फैले ट्यूशन इंस्टिट्यूट को ही देख लीजिए वहां गुरुओं द्वारा शिक्षा तो दी जा रही है परंतु उसके बदले में इतनी मोटी कीमत ली जा रही है कि मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अपने बच्चों की शिक्षा के लिए उस कीमत को अदा कर पाना भी असंभव सा हो जाता है। आज हर क्षेत्र में शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है , सरकारी क्षेत्र ले लीजिए या प्राइवेट क्षेत्र हर जगह वेतन की नौकरी पाने के लिए सर्वप्रथम बच्चों की डिग्रियां देखी जाती है और उसी डिग्री के आधार पर बच्चों को नौकरियां मिलती है  सवाल यह है कि यह समस्त नौकरियां सिर्फ उन लोगों को मिल सकती हैं जो शिक्षा को पाने के लिए मोटी कीमत देकर शिक्षा को ग्रहण कर लेते हैं परंतु उन गरीब लोगों का क्या जोकि असहाय होते हैं परंतु उनके बच्चे बहुत ही ज्यादा प्रतिभावान होते हैं ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए आज हमारे समाज में सहयोग करने वाले मात्र गिने-चुने लोग ही हैं वह या तो बस्ती में या कैसे भी करके कुछ ही लोगों की मदद कर पाते हैं हर किसी की मदद कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है , यदि हर किसी के बजट में पहुंचते हुए हमारे भारत देश के समस्त विद्यालय , साथ ही कोचिंग इंस्टिट्यूट वाले एक मर्यादित पहुंच तक अपनी शिक्षा की फीस रखें जिससे मध्यमवर्गीय और गरीब वर्ग भी उस शिक्षा का लाभ प्राप्त कर कर ऊंचे मुकाम तक पहुंच सके , आज जगह-जगह कोचिंग इंस्टिट्यूट पर विद्यालय से अधिक फीस ली जा रही है बहुत से ऐसे ऑनलाइन एप भी उपलब्ध है जो शिक्षा के नाम पर इतनी मोटी रकम रखते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भी ग्रहण करना किसी मध्यमवर्गीय या गरीब परिवार के लिए असंभव सा हो गया है शिक्षा तो वह अनमोल उपहार है जो हर किसी के नसीब में आना बहुत जरूरी है आज के दौर में हर क्षेत्र में शिक्षा का बहुत महत्व है परंतु हर किसी के लिए केवल आर्थिक दृष्टिकोण से देखते हुए शिक्षा को ग्रहण कर पाना संभव नहीं है खासकर के लिए गरीब लोगों के लिए ।  कहते हैं शिक्षा जितना अधिक बांटते हैं उतना अधिक ज्ञान हमारा बढ़ता है यदि हमारे भारत देश में ही एक शिक्षक मात्र 2 से 3 बच्चों को भी एक घंटा शिक्षा प्रदान करें वह भी मुफ्त या तो बहुत ही कम गुरु दक्षिणा पर ताकि किसी गरीब घर के बच्चे का भविष्य सुधर सके और भविष्य को संवारने वाले शिक्षक ही उसको आगे लेकर जाने का प्रयास करें तो हमारे देश में कोई भी शिक्षा से वंचित नहीं रह पाएगा हमारा भारत देश भी अमेरिका , चीन , जापान जैसे देशों की तरह एक समृद्ध देश कहलाएगा हमारा भारत देश में इन देशों की तरह समृद्ध बन कंधे से कंधा मिलाकर समानता प्राप्त करेगा इसलिए देश के प्रति भी शिक्षक आदि समाज सेवी अपनी थोड़ी जिम्मेदारी समझते हुए मात्र 3 बच्चों को भी एक घंटा यदि दिन में मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं तो किसी का जीवन संवर जाएगा और किसी की दुआएं हमारे लिए रंग लाएगी  साथ ही देश के नौनिहाल उज्जवल भविष्य निर्माता देश का निर्माण करते हुए एक मजबूत नींव रखते हुए देश को ऊंचे मुकाम तक ले जाएंगे और विदेशियों से समानता और बराबरी की टक्कर में आएंगे । ज्ञान बॉंटने से बढ़े , अपना भी ज्ञान , सोचिए, समझिए इन शब्दों में भी छुपा हुआ विज्ञान।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित