कविता

दिल के करीब

सुनो !
बहुत सी बातें तुम्हारी
मेरे दिल के करीब है
सोचती हूं उसे
करती हूं बाते कभी कभी
और बस
आ जाते हो तुम करीब

सच ही तो है
सच्ची चाहत, और जिंदगी
एहसासों में ही समाहित होती है
बाकी तो सब औपचारिकता है

तभी तो किसी खास के
दूर होने पर भी
उसे हम हर पल जीते है महसूस करते है
कहां ऐसा होता
किसी से दिल लग जाए और
उसके पास या दूर होने पर
मन थम जाए
वह तो
धडकनों में आवाज बनकर घुल जाता है
और जबतक सांसे आबाद रहती है
आंखों में उसकी तस्वीर बनी रहती है
इन संबंधों का वजूद ईश्वरीय होता है
सच है ना !

*बबली सिन्हा

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