कविता

विश्व बेटी दिवस 25 सितंबर 2022 पर विशेष कविता

दो कुलों का की मान होती है बेटियां
दो कुलों का की मान होती है बेटियां
पूरे घर की जान होती है बेटियां
घर परिवार आबाद करती है बेटियां
थम जाता संसार अगर ना होती बेटियां
घर की जान होती है बेटियां
पिता की आन बान शान होती है बेटियां
बेटों से कम नहीं होती है बेटियां
पिता का गुमान होती है बेटियां
मां बहू भाभी पत्नी बनकर, सेवा करती है बेटियां
खुद अपमान सह, दूसरों को मान देती है बेटियां
कमियों को भुला जो मिले, उसमें खुश रहती है बेटियां
हर हाल में खुश हो मुस्कुराती रहती है बेटियां
खुदकी पहचान मिटा दूसरों की पहचान अपनातीहै बेटियां
बहू बन सास ससुर की सेवा करती है बेटियां
सुनो जग वालों धन मन हृदय सब कुछ है बेटियां
लक्ष्मी सरस्वती पार्वती का रूप है बेटियां
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया