कविता

प्यार का एहसास

एक दिन तुम्हें मेरी प्यार का
एहसास जरूर हो जायेगा
जिस दिन तुम्हें किसी फरेबी से
मुलाकात हो ही जायेगा
उस दिन बहुत पछतायेगी
रो रो कर किसी से छुपायेगी
वक्त जब गुजर जायेगी
फिर वापस ना आयेगी
लाख बुराई हममें ढुँढा
पर तेरा प्रेमी मैं था
सज ना सकी प्यार का चमन
उजड़ गया मोहब्बत का आँगन
तुम मुझे समझने में भूला
मैं तो था तेरा ही   झुला
प्यार की बहार बुलाया था
मस्ती में तुम्हें झुलाया था
झगड़ लेती थी प्यार में तुम
बुरा कब माना था मेरा मन
मैं था भोला सीधा सादा
झूठ हुई प्रेम की मेरी गाथा
शमशान में एक दिन सो जाऊँगा
बहुत रोयेगी पर वापस ना आऊँगा
जा री बेवफा तुम्हें माफ किया
मन से तेरी अक्स साफ किया

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088