कविता

कविता – शुभकामना संदेश

मम्मी पापा साथ में दोनों तुम कितने अच्छे लगते हो,
इक दूजे के दिल में कब से दोनों तुम यूं ही रहते हो।
इक दूजे में ही बसे हुए हैं तुम दोनों के प्राण,
तुम दोनों ही तो हो सच में हम सब बच्चों की शान।
रिश्ते नाते निभाना कोई तुम दोनों से सीखे,
नहीं हैं कोई पूरे जग में तुम दोनों- से सरीखे।
करें सदा हम गर्व कि हम तुम्हारी संतान हैं,
तुमसे ही तो हमको दुनिया में मिली अदद पहचान है।
सिखलाया तुमने ही तो हमको चलना नेकी की राहों पर,
कहते तुम ही रखो अदब का परदा सदा निगाहों पर।
अपनेपन की परिभाषा तुमने हमको बतलाई है,
ईमानदारी लहू में हमारे तुमसे ही तो आई है।
कभी किसी का हक़ न मारो हमेशा तुम ये कहते हो,
भावों की सरिता में पल पल दोनों ही तुम बहते हो।
होती बरकत नीयत से ही,कहते तुम हाथ खुला रखो,
रहकर शांत करो मेहनत और सफ़लता का फिर स्वाद चखो।
ममता की दी छाया सर्वस्व अपना हम पर लुटा दिया,
रखकर ऊंचा मस्तक तुम दोनों ने सदा ही अपना जीवन जिया।
हम जो भी हैं पापा मम्मी सब आप ही की तो बदौलत हैं,
सारे सुख इस जग के झूठे बस आप ही सच्ची दौलत हैं।
आप दोनों की वैवाहिक वर्षगांठ पर मांगते हम दुआ ये रब से,
दीर्घायु और स्वस्थ रहने की आपको मिले शुभकामनाएं यहां सब से।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली