गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

कहीं नही मन लगता है अब,टूटा क्यों सपना

सभी गैर लगते हैं अब क्यों, कोई नही अपना

मन में खोट भरा है जिनके,कैसे  पहचाने

छल से,द्वेष,कपट से उनके,मुश्किल है बचना

जीवन की ये जंग कठिन है,धीरज मत खोना

हार मिलेगी,जीत मिलेगी,क्यों डरते इतना

खोना पाना जीवन क्रम है,कोन बदल पाया

ठोकर से कुछ सीख मिली है,यही ध्यान रखना

समय बड़ा बलवान बदल दे,पल में जीवन को

अच्छा मिलने पर खुश होना,नही घमंड़ करना

जिनके हाथों में पत्थर घर,उनका शीशे का

कींचड़ में दलदल में अपना,पैर नही धरना

पंख तेरे कमजोर तो क्या,उड़ना तो होगा

धीरे धीरे कर प्रयास तू,हिम्मत से उड़ना

— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त