लघुकथा

गुब्बारे वाला

         शिवमहापुराण कथा सुनने वालों की अपार भीड़ थी। धूप तेज थी; और गरमी भी खूब। बेचारा एक छोटा सा बालक गुब्बारा बेच रहा था। सर पर एक हरे रंग का रूमाल बाँध रखा था। उम्र उसकी लगभग दस-ग्यारह बरस की रही होगी।  गुब्बारे वाला बालक एक व्यक्ति का तीखा स्वर सुन हतप्रभ रह गया- “नहीं…नहीं…! इसके पास कोई गुब्बारा-सुब्बारा नहीं लेंगे बेटा। सर पर हरे रंग का रूमाल बाँधा है न। तुम्हीं देख लो। इस लड़के से क्यों खरीदेंगे भला।” फिर बच्चे ने रूदन स्वर में कहा- ” मुझे गुब्बारे से मतलब है। मुझे गुब्बारा चाहिए पापा।” 

         गुब्बारे वाला लड़का कुछ देर तक पिता-पुत्र की बातें सुनता रहा। फिर वह एक भगवा कपड़े पहने व्यक्ति के पास गया। उससे अपने माथे पर कुमकुम से त्रिशूल बनवा लिया।

— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला” 

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.