गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़िक्र उनका वह जो करते रहे 

क्षण- क्षण  हम तो निखरते रहे| 

रौनकें  चेहरे की न देख ले कोई 

हम तो  बस सबसे छिपते रहे| 

आनन रक्तिम सा हो गया था 

अधरों  पर कंपन होते रहे|

नज़रे  जो नजरों से जा मिली  

दरिया में नैनो की  डूबते  रहे| 

फिर जो गले लगाया इस कदर 

साँसे  एक दूजे में घुलते  रहे| 

लाख संभाला था इस दिल को 

आगोश में उनकी पिघलते  रहे|  

अब मीरा कहाँ  बची सिर्फ मीरा 

रंग में बस उनके  ही रँगते  रहे|

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com