गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आंख से कर इशारा बुलाया गया।
इश्क में डाल डोरे फॅंसाया गया।
चांद निकला अकेला बड़ी शान से,
चांदनी को ख़फ़ा क्यों बनाया गया।
रात रोती रही थी मिलन की घड़ी,
प्यार उस से नहीं वो जताया गया।
मौत आती नहीं कौन पूछे उसे,
ज़िंदगी को सदा ही सताया गया।
नाम लिख के रखा देख दिल में मिरे,
रोग क्यों इश्क का फिर लगाया गया।
आज दूरी मिटेगी सदा के लिए,
मांग सिंदूर अपनी सजाया गया।
तोड़ दी रस्म जो थी बनाई यहाॅं,
दिल सदा के लिए था दुखाया गया।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995