कविता

रक्तदान करो

लाल रंग कि लाल कणिकाएं तरसे
जरूरत मंद के जिस्म में समाने को।।
रक्त बूंदे जीवनदायिनी कहलाए यही समझाएं हम जमाने को।।
तरस रहे कितने मरीज़ों के अपने
अपनों को ही बचाने को
लाल रंग की एक-एक बूंद अपने
मरीजों के लिए पाने को।।
कभी रिश्तेदारों से , तो कभी गैरों
से गुहार कर रहे देखो
अब लगे मुशकिलों में रिश्तों , दोस्तों
को ही आज़माने को।।
मदद् करे कोई मुश्किल मे , कोई नहीं
अपने परायों की परख हुई जमाने को
ना मिले मदद् यदि तो चल पड़ता
एनजीओ को मनाने को।।
प्रकट होते तब कुछ देवदूत धरा पर
रक्तदान को देखो।।
इंसानियत , अपनापन , सेवा , देश
प्रेम का पाठ पढ़ाने को।।
रक्तदान संग सीख भी , देते ये दूजे
व मरीज़ के परिजनों को
गौर से सुनो रक्तदान करो सभी
तुम्हारी जरूरत जमाने को।।
इंसानियत का पाठ पढ़ाने निकले
कुछ जांबाज देश सजाने को।।२।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित