कविता – जीवन के चार दिन
जीवन के दिन चार हँसी खुशी से गुजारते हैकिसी के दुख को हम थोड़ा कम करते हैखाली हाथ जग में
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Read Moreजब पीछे वक्त हमारा छूट जाता है जीवन की स्मृतियां याद आने लगती है जीवन की स्मृतियां उभर कर आ
Read Moreमेरी लेखनी मेरा अभिमान, मैं करती इसका बहुत सम्मान, मन के भावों को लेखनी लिखती, सही गलत मतलब समझती, लेखनी
Read Moreजीवन के मोड़ पर कैसे चला जाएं, यह कभी कभी समझ न आएं, किस कर्म को हम करें यश हम
Read Moreरानी सुंदर होने के साथ साथ पढाई में भी बहुत होशियार थी वो प्रोफेसर बनना चाहती थी। लेकिन उसके मम्मी
Read Moreजीवन में कुछ समझ न आएं, तब मन अधिक घबराएं कुछ न जब उम्मीद दिखाई न दें, प्रभु के ऊपर सब
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