Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

गीत/नवगीत

गीत अपनी आजादी “हुआ क्यों जन-जीवन बेहाल”

चीख-चीखकर आजादी, करती है आज सवाल। हुआ क्यों जन-जीवन बेहाल? दुखी क्यों लाल-बाल औ’ पाल? चीख-चीखकर आजादी, करती है आज

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