क्षणिका
आइए एक बार फिर कृष्ण जन्माष्टमी की औपचारिकता निभाते हैं, अपने कुविचारों को कुछ पल के लिए छिपाते हैं, कृष्ण
Read Moreभाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि घनघोर घटाओं के बीच रोहिणी नक्षत्र में नंद देवकी के लाल अबूझ काली रात सात तालों
Read Moreभाद्रपद कृष्ण पक्ष की शुभ बेला आई है, मथुरा में चहुंओर छाईं खूशियां जन्माष्टमी की आई बारी है। अपने प्यारे
Read Moreजन्माष्टमी हर साल आती है एक दिन के लिए कुछ लोगों को भरमाती है, फिर चली जाती है अगले साल
Read Moreहे कृष्ण, नटखट कन्हैया अब बहुत हो चुका माखन चुराना, गैय्या चराना, बाल सुलभ चंचलता दिखाना गोपियों संग करना। अब
Read Moreशिक्षक और शिक्षा का चोली दामन का रिश्ता है, एक दूजे के बिना दोनों अधूरें है कभी नहीं पूरे हैं।
Read Moreसमय का फेर देखिए अहमियत का गिरते मूल्यों को गहराई में उतरकर देखिये। आज हमें अपनों की भी अहमियत कहाँ
Read Moreमन वचन कर्म पहले अपने शुद्व कीजिए, माता पिता की पहले स्तुति तो कीजिये। निर्बल, असहाय, गरीब के कुछ काम
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