आत्मकथा : मुर्गे की तीसरी टांग (कड़ी 15)
अध्याय-6: मौजमस्ती के दिन मिले तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबाँ। भूले तो यूँ कि गोया कभी आशना न
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Read Moreश्रीमती इन्दिरा गाँधी का चुनाव रद्द होने का समाचार मुझे दिल्ली में ही मिला था, जब मैं अपना इलाज कराने
Read Moreआगरा में कुछ मुसलमानों के हिन्दू बनने से धर्मान्तरण के बारे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. हिन्दू संगठन
Read Moreअध्याय-5: दिल ही तो है उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो। न जाने किस गली में जिन्दगी की
Read Moreकक्षा 9 में मेरा छात्र जीवन लगभग घटना विहीन रहा। मैं कक्षा में खूब मन लगाकर पढ़ा करता था और
Read Moreहमारे आगरा आने के कुछ दिनों बाद ही बड़े चाचाजी ने बँटवारा करा लिया। आगरा आने के कारण हमारा खर्च
Read Moreअध्याय-4: पलायन क्या पूछता है तू मेरी बरबादियों का हाल? थोड़ी सी ख़ाक लेके हवा में उड़ा के देख कक्षा
Read Moreगाँधी शताब्दी समारोह समाप्त हो जाने के बाद मैं अपनी पढ़ाई में लग गया था, हालांकि रात्रि में देर तक
Read Moreबाबा के ही गाँव कारब के निवासी एक अन्य अध्यापक थे श्री बाबू लाल शास्त्री। शास्त्री जी हिन्दी और संस्कृत
Read Moreअध्याय-3: अक्ल का पुतला यादे माज़ी अज़ाब है या रब ! छीन ले मुझसे हाफिजा मेरा ।। जब मैं कक्षा
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