लघुकथा – ज्योति सुधर गई
स्कूल जाने के समय कई बार ज्योति का पेट दर्द होता था। कुछ समय बाद वह घर में ही खेलती
Read Moreस्कूल जाने के समय कई बार ज्योति का पेट दर्द होता था। कुछ समय बाद वह घर में ही खेलती
Read More”हे भगवान, यह कितना भयानक सपना था!” तड़के-तड़के झुनकू घबराकर उठ गया था. ”ऐसा क्या देख लिया जी आपने?” झुनकू
Read More”बहिनों और भाइयों, हमारे मन की आवाज है- छिड़ने दो न्याय के तारों को रोको अन्याय के धारों को. अस्पतालों
Read Moreमैंने सपने में भी नहीं सोचा था, कि एक नया अवसर इतने नये अवसरों का जन्मदाता हो सकता है. आज
Read More“माँ! माँ आज मैं बेहद खुश हूँ… आप पूछेंगी ही क्या कारण है… पहले ही बता दूँ कि हमारी सारी
Read Moreआज गूगल पर कुछ सर्च करते हुए रामधारी सिंह दिनकर का मजेदार बाल गीत सामने आ गया- चूहे की दिल्ली-यात्रा
Read Moreसिर्फ़ 6 लाख रुपये में सोलर पावर्ड ड्राइवरलेस स्मार्ट बस के तैयार होने की बात हमें ही नहीं सबको हैरान
Read Moreकल आषाढी पूर्णिमा है !! निम्मी ! दही बरे और करायल (उरद पकौड़ी की सब्जी )जरूर बना लेना परसों से
Read Moreकुछ महीनों से छवि और निलय आर्थिक तंगी के बुरे दौर से गुजर रहे थे | हर तरफ़ अंधेरा ही
Read Moreमुन्नी के सपने अम्मा ओ अम्मा हमका भी स्कूल जाना है ,हमका स्कूल काहे नाहिं भेजती | मुन्नी कमली का
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