आशीर्वाद
”दादा जी, आज छुट्टी है, हम बाहर खेलने चले जाएं?” अमित और रुनकी ने निहोरा किया. ”आज किस बात की
Read More. दरवाजे की घँटी बजी ,मेरे पति दरवाजा खोल आगंतुक को ड्राइंगरूम में बैठा ही रहे थे कि मैं भी
Read Moreमैं कब से देख रही थी उसे,अथाह पीड़ा के साथ – साथ उसकी आंखों में घृणा की ज्वाला भी धधक
Read Moreभले ही नियति ने उसे शहनशाह नहीं बनाया हो, पर नीयत का शहनशाह तो वह था ही. उसने कभी कुर्सी
Read Moreरेल में यात्रा करते समय मेरे कान कुछ सुनने के लिये मचल गये। आँखों में आँसू आ गये! ह्रदय पर
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