अनमोल रत्न
कोयल जब कुंहके बगिया में बुलाते उसे बड़े प्यार से, सुनकर कौए की बोली हम भगाते हैं दुत्कार के। दोनों
Read Moreकोयल जब कुंहके बगिया में बुलाते उसे बड़े प्यार से, सुनकर कौए की बोली हम भगाते हैं दुत्कार के। दोनों
Read Moreमाँ, चुप क्यों हो कुछ बोलो तो ? अपने मन की पीड़ा को मेरे आगे खोलो तो माँ तुम क्यों
Read Moreजीवन क्या है? कभी सोचता हूँ क्या सिर्फ ये भागमभाग है या कहीं कोई ठहराव भी है या यह एक
Read Moreअब तो हिचकियां भी नहीं आती तुम भूल गए हो इस कदर साथ मरने जीने की कसमें प्यार के वादे
Read Moreआकाश की आँखों में रातों का सूरमा सितारों की गलियों में गुजरते रहे मेहमां मचलते हुए चाँद को कैसे
Read Moreप्रेम की परिभाषा कभी विरह तो कभी मिलन नए तराने नए अफ़साने वो उलझे रिश्ते आये न जो तुम कभी
Read Moreबहते समय की एक नदी का बन संगीत लिये अपने पगों मे वन मयूरी का नृत्य उस छोर पर खड़ी
Read Moreजैसे रूई धुनें जुलाहे श्रमिक अंधेरों को धुनते हैं, किरणों की चादर बुनते हैं। एक उम्र के जितनी लंबी दुर्घटना
Read Moreतन से नंगी, भूख से पीड़ित भावी को जब रोटी के टुकड़े पर लड़ते देखता हूँ, मै इसका
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