हम कहाँ जा रहे हैं
बड़ी अजीब सी होती जा रही है शहरों की रौशनी उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल होता जा रहा है
Read Moreबड़ी अजीब सी होती जा रही है शहरों की रौशनी उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल होता जा रहा है
Read Moreफिरसे बचपने में खो जाते हैं। चलो हम भी बच्चे हो जाते हैं।। मम्मी से माँगें चन्दा खिलौना। पुरानी दरी
Read Moreकभी आना मेरे पास बस निहारना नयनों में भरे प्यार से भींग जाए तन-मन मेरा उस प्यार के एहसास से।
Read Moreमेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई। लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात
Read Moreफाइलों के बोझ ढ़ोती , तंत्र की मारी मदद उपलब्ध बस विज्ञापनों में , शुद्ध सरकारी मदद ।। लोगों ने
Read Moreये झड़ी नहीं है सावन की ,,, बस प्रीत विरह की कड़ियाँ है । ये पिया दरश को तरस रही
Read More