लो बेच दिया जमीर
बाजार मे खुद ही अपना ईमान बेचकर। कल रात नींद ना आयी अपना अभिमान बेचकर ।। बस अब मेले में
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Read Moreसबके अपने दर्द है सबके अपने नीर । क्यों तू अपने दर्द पर नीर हुआ गभीर ।। मतलबी के दिल
Read Moreभरता नृत्य मयूर मन, ललक पुलक कर बाग फहराए उस पंख को, जिसमें रंग व राग जिसमे रंग व राग,
Read Moreकहते हैं खुश रहती थी वह, सबकी सेवा कराती थी। सच्चाई के राह की प्रेमी, सत्यवती वह तनीयसी थी।। कार्यक्षेत्र
Read Moreवेजुबान है रे ! तू वेजुबान है तेरी पीड़ा क्यों नहीं समझता इंसान है दौड़ता है तू केवल भूख की
Read Moreतुमसे कुछ कहना है कब से बटोर रही हूँ शब्दों को एक पहाड़ सा बन गया है शब्दों का अब
Read Moreबनना चाहते हैं हैवान तो फिर इन्सान बनाये कौन ? डूब गये आधुनिकता में, नैतिकता का पाठ पढ़ायें कौन, बन
Read Moreसंतुष्टि सुनो! व्याप्त है अगर.. तुम्हारे हृदय में मेरे प्रेम का सुर्ख गुलाबी रंग तो तुम जरूर महसूस करोगे मेरे
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