बेकारी
बेकारी के इस आलम में , क्या -क्या धन्धे होते है । धूप छाँव रहती है जीवन में , फ़िर
Read Moreजिस दिन भ्रष्ट,नीच दुष्कर्मी,फाँसी पर लटकाये जाएंगे । ठीक उसी दिन भारत में फिर से अच्छे दिन आएंगे । आरक्षण
Read Moreविधान : 16/14=30,अंत 112/22 प्रथम, द्वितीय, व चतुर्थ चरण तुकांत,तृतीय चरण स्वतंत्र आज सभी जन हुए लालची,छल कुदरत से
Read Moreगागर छलके री सखी, पनघट पानी प्यास आतुर पाँव धरूँ कहाँ, लगी सजन से आस लगी सजन से आस, पास
Read Moreजाने कहाँ छिप जाती है उदासी, ख़ामोशी, और तन्हाई जब माँ साथ होती है !!! … सारी मुस्कराहटों को पता
Read Moreसभी सिपाही हैं लेकिन , सब रखते हैं तलवार नहीं कलम हाथ रखकर भी लड़ते इससे है इनकार नहीं बिना
Read Moreतुम चाहते हो कि हरेक आंगन तक गुनगुनी धूप पहुंचे ताकि कोई ठिठुरती सर्दी में न कंपकंपाये तुम चाहते हो
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