जीवन का अर्थ
मैं मैं करता क्यों फिरे बकरी जैसे कहाय हम हम करता जो फिरे एकता में बंध जाए जीवन व्यर्थ गवाएं
Read Moreमैं मैं करता क्यों फिरे बकरी जैसे कहाय हम हम करता जो फिरे एकता में बंध जाए जीवन व्यर्थ गवाएं
Read Moreसुनो सुनो एक कहानी सुनाती हूँ नारी है क्या इस कलयुग में उसकी गाथा गाती हूँ समाज की अटूट कड़ी
Read Moreपाप किया दोनों सरकार ने, कौन बुरा कौन अच्छा क्या? एक आंख पर पट्टी बांधकर, दूजे को उचक्का बोलें क्या?
Read Moreबीती होली की यादें कैसे कैसे बीती होली, प्यारी वह बचपन की होली, टब बाल्टीयों में घोल कर बोतलों में
Read Moreसब उसकी माया सुख दुःख तो आते जाते हैं, जीवन की रफ़्तार यही है, मन को अपने निष्चल रक्खो, सब
Read Moreकुछ दर्द है दबा हुआ जो कुछ देर के लिए बाहर आना चाहता है, सीने के दरवाजे को धीरे से
Read Moreकभी-कभी तो याद आते हो तुम इस दुनिया में न जाने कहाँ हो तुम क्यों आते हो मेरे सपनों में
Read Moreअगर चाहते प्रसन्न रहना, इस इच्छा को प्रबल बनाओ, दुख से बोझिल इस दुनिया में, सुख के कुछ साधन अपनाओ.
Read Moreजब तक न हुई थी हरित क्रांति, सर्वत्र व्याप्त थी विपदा-भ्रांति, हरित क्रांति से मिली हरीतिमा, अब करनी हमको शिक्षण
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