लघुकथा : कसक
दफ़्तर से लौटी अदिति के सिर में तेज दर्द था । उसका आठ वर्षीय मुन्नी को ‘पार्क’ घुमाने ले जाने
Read Moreदफ़्तर से लौटी अदिति के सिर में तेज दर्द था । उसका आठ वर्षीय मुन्नी को ‘पार्क’ घुमाने ले जाने
Read Moreशादी सम्पन्न होने के बाद निशिता की विदाई होने वाली थी. दोनों परिवारों की अनुमति से यह प्रेम विवाह सुनियोजित
Read Moreराजेश बाबा चेलाराम का परम भक्त था । अभी वह उनके आश्रम में आयोजित सत्संग से ही लौट रहा था
Read Moreगर्मी की एक शाम को मैं चौपाटी पर अपने पति व बच्चों के साथ चाट का आनंद ले रही थी,
Read Moreबड़े भोरे भोरे बुढ़ौती में ई टेंघना आज कौन कारज हिला दिए रमई भाई, कोई विशेष प्रयोजन? दुवारा बहारते हुए
Read Moreकल से ही तो चालू होने वाले हैं पाखी के प्रिलिम ऐग्ज़ामस्। पढ़ते-पढ़ते मन बदलने के लिये वह टैरस पर
Read Moreऐमरजैंसी वार्ड में मैं तीन दिन तीन रातें ऐसे ही पड़ा रहा, कोई हिलजुल नहीं थी, खाना तो दूर की
Read Moreबाबा अवधुतानंद का शहर के बीचोबीच एक छोटा सा आश्रम था । बाबाजी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे ”
Read More