लघुकथा – झरते आँसू
आज पन्द्रह अगस्त है । शहर के खेल मैदान में पूरा शहर ‘स्वतंत्रता-दिवस’ मनाने जा रहा है । सुबह का
Read Moreआज पन्द्रह अगस्त है । शहर के खेल मैदान में पूरा शहर ‘स्वतंत्रता-दिवस’ मनाने जा रहा है । सुबह का
Read More“क्यों ये रस्मों रिवाजों के बन्धन तोड़कर मेरे साथ नही आती… क्यों मेरा प्रेम मुकम्मल नहीं करती… मैं भी तो तुम्हारे लिये
Read Moreरात भर बुखार था सईदा को सुबह की धूप आंखो पर पड़ी तो उठ बैठी सारा बदन टूट रहा था,
Read Moreकाया बहुत कमजोर हो गई है, किसी तरह कूल्हती कराहती नहाने चलीं गई, नहाना आरंभ ही किया था कि , नथुनों
Read More“बंद दरवाजा” ये कहानी नही है ! और न ही रामसे ब्रदर्स की किसी फ़ीचर फ़िल्म का एक टाइटल ।
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