लघुकथा : तर्पण
“माँ ! सब चीजें ध्यान से देख लो। कोई कमी न रह जाए। ” पिता के श्राद्ध की तैयारी में
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Read Moreसुमि रोटी बना रही थी उसने सबको आवाज दी चलो खाना बन गया ।सब टेबिल पर आगये ।लंच का समय
Read Moreआज घर की दहलीज छोड़ते हुए सुमित्रा की आंखें मानो पथरा गई है। आंखों से उसके आंसू का एक कतरा
Read Moreसुरमई संगीत से समां सुहाना हो गया था। जगह-जगह ‘वन्य जीव सप्ताह’ के उपलक्ष्य में बैनर, गुब्बारे, सजावट से जंगल
Read Moreधनतेरस का दिन था। कार्तिक मास की काली रातों ने सच में रंजन के घर-परिवार
Read Moreदोनों कामकाजी होने के कारण साथ में कम ही समय गुजार पाते थे आज मोहित और रीना साथ में मुंडेर
Read Moreघर पर कार्य चल रहा था । दोपहर को अपने मजदूर के लिए नाश्ता लेने मैं हलवाई की दुकान पर
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा-” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘।लाला का नौकर उसे जूते दिखाता गया और
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