यशोदानंदन-६
कंस बाल्यकाल से ही आततायी और आसुरी प्रवृत्ति का था। राजा उग्रसेन के अथक प्रयास के पश्चात भी उसके स्वभाव
Read Moreकंस बाल्यकाल से ही आततायी और आसुरी प्रवृत्ति का था। राजा उग्रसेन के अथक प्रयास के पश्चात भी उसके स्वभाव
Read More“महर्षि! श्रीकृष्ण का मथुरा में प्रवेश से लेकर कंस-वध का संपूर्ण वृतांत का आप अपने श्रीमुख से मुझे सुनाकर अनुगृहीत
Read More28. अपवित्र उद्देश्य राजकुमारी देवलदेवी को अपने हरम में लाने के लिए कामुक सुल्तान ने नायब मलिक काफूर और अजिरे मुमालिक
Read Moreगर्गाचार्य के पास कोई विकल्प शेष नहीं रहा। उन्होंने समस्त उपस्थित जन समुदाय को
Read Moreमहर्षि की बातें यशोदा जी बड़े ध्यान से सुन रही थीं। जैसे ही ऋषिवर ने अपना कथन समाप्त किया उनके
Read More27. स्नेह बंधन बगलाना के महल में राजकुमारी देवलदेवी का कक्ष, गुजरात के राजकुमार भीमदेव एक सज्जित आसन पर बैठे हैं
Read Moreसेवकों ने दोनों पर्यंकों को पास ला दिया। यशोदा जी की दृष्टि जैसे ही पति
Read More“क्या कहा आपने? कृष्ण मेरा पुत्र नहीं है? यह कैसे हो सकता है? मुझे स्मरण नहीं कि आपने कभी मिथ्यावाचन
Read More26. बगलाना मेें उत्सुकता बगलाना के छोटे से महल का एक कक्ष, आमने-सामने आसन पर राजा कर्ण और राजकुमारी देवलदेवी बैठे
Read More25. देवगिरी मेें चिंता देवगिरी के महाराज रामदेव व्यग्र भाव से टहल रहे हैं, दोनों हाथ को बाँधकर पीठ पीछे कमर
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