घनाक्षरी छंद
नयनों में प्यास लिए, मुख मृदु हास लिए चहकत झूम झूम जैसे हो कजरिया । मधुमाती अबला सी, रसवंती सबला
Read Moreनयनों में प्यास लिए, मुख मृदु हास लिए चहकत झूम झूम जैसे हो कजरिया । मधुमाती अबला सी, रसवंती सबला
Read Moreपल में उमड़ी मन में उमड़ी, सबके दिल को पहचान गई। जग जीत गई मन डोल उठा रस प्रीति लसे
Read Moreसन पचास लागू हुआ, अपना शासन तन्त्र पर्व छब्बीस जनवरी, कहलाया गणतन्त्र कहलाया गणतन्त्र, विधान बना भारत का है अधिकार
Read Moreकिरीट सवैया(आठ भगण_ 211× 8) लेखक नायक लेख सजोवत प्रेम महीं रस गावत नारद शेष महेश गणेश मनावत प्रेम सदा
Read Moreआल्ह छ्न्द[ १६+१५=३१ अंत गाल =२१ ==================================== चलें नहाने गंगा जमुना, ईश्वर का प्यारा वरदान/ संगम तट पे भीड़ देखि
Read More1) पीता विष का घूँट हूँ, सुनके कड़वी बात। बात-बात में कर गया, बेटा दिल आघात।। बेटा दिल आघात,
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