“अपने मन की”
शुरू करो कुछ अपने मन की कब तक करोगे सबके मन की, लोगों को खुश करना छोड़ो कब तक सुनोगे
Read Moreशुरू करो कुछ अपने मन की कब तक करोगे सबके मन की, लोगों को खुश करना छोड़ो कब तक सुनोगे
Read Moreबहुत दिनों के बाद खरीदे हैं मैंने। बेच के आँखे ख्वाब खरीदे हैं मैंने। गिरवी रख के पंख उड़ाने सीखी
Read Moreबिते हुये बातो को याद.क्यो करना जब दूर ही गये तो पास क्यो आना गलतफहमियां थी हमदोनो के बीच अब
Read Moreइक नया जन्म करतार किसके लिए रोज खेलते है किरदार किसके लिए हो गया है जहाँ आज इतना निडर कब
Read Moreमुझे देखकर सब तेरा नाम पूछते हैं रात-दिन और सुबहो-शाम पूछते हैं कैसे छिपा रखा है तुझ को खुद में
Read More