ग़ज़ल
तुम्हारी याद में प्रियतम ,नींद भी टूट जाती है । न मुझको चैन आता है,न कोई बात भाती है ।
Read Moreफौज यहां लड़ती है , नेता श्रेय लेते हैं ! शीश जहां झुकना हो , मुंह को फेर लेते
Read Moreत्याग ,प्यार ,स्नेह ,परहित की भावना । निश्छल प्रेम की है अद्रश्य याचना । थक जाते हैं कदम भी अनजानी
Read Moreतेरे मन की भाषा जानूँ , खड़ी खड़ी मुस्काउं ! जुल्फों की जंजीर न बाँधूँ , आओ इसे लहराउं
Read Moreतुम मिले और हम दीवाने हो गए बागों के मौसम सुहाने हो गए। पत्तियों ने ली हैं अब अंगड़ाइयां पतझडो
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