चार दिन की जिन्दगी है
हर दिन जिन्दगी तेरा एक पत्ता टूट रहा। तेरे संग चलकर एक एक दिन छूट रहा।। काँटे ही बिछे हैं
Read Moreहर दिन जिन्दगी तेरा एक पत्ता टूट रहा। तेरे संग चलकर एक एक दिन छूट रहा।। काँटे ही बिछे हैं
Read Moreमेरा अपना इस जग में , आज़ अगर प्रिय होता कोई। मैंने प्यार किया जीवन में, जीवन ही अब भार
Read Moreन राग के लिए न रीति के लिए, कि दीप जल रहा अनीति के लिए। न सांझ में सिमट सकती
Read Moreजग को जीत सकूँगा मैं, यदि दृढ़ प्रतिज्ञ हो जाऊँ। कड़ी मशक्कत व लगन से, करके ही दिखलाऊँ।। सिकंदर एक
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
Read Moreहो रहा विहान है, रश्मियाँ जवान हैं, पर्वतों की राह में, चढ़ाई है ढलान है।। — मतकरो कुतर्क कुछ, सत्य
Read Moreआदर्श उनके हैं बसे ब्रह्मांड के आधार में जीवन लगाया अपना बस युवाओं के उद्धार में दुनिया में सुधारक तो
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