“गीत”
मापनी- 2222 2222 2212 121, मुखडा समान्त- अर, पदांत- आस “गीत” चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजास
Read Moreश्री राम अवध पुर आएंगे हम मंदिर भव्य बनाएंगे।। चलो अयोध्या सब मिल आएं, राम नाम का मंत्र जगाएं। बहुत
Read Moreघोटालों पर घोटाले कर अर्जित की जो धनराशि विपुल क्या भोग नहीं करना उसका जो पड़ा हुआ है यूँ ढुलमुल?
Read Moreढूंढ़ने हम रोशनी को चल दिये। मेरे अरमां हाथों से कुचल दिए।। कंटकों से थी भरी मंजिल मेरी। पर वहीं
Read Moreआओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएँ। निर्जीव सोने की चिड़िया को फिर से चहकाएं। हो न कहीं अंधेरा भारतवर्ष में
Read Moreठण्ड ने दस्तक दी , फिर अपने उसूलों पर । बाँहों में भरने को आतुर ,
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