अंगार सुनाता हूँ!!
मैंने भी श्यामल ज़ुल्फों में, अपनी शाम गुजारी है मैंने भी रस भरे लबों पर, अपनी ग़ज़लें वारी हैं मैं
Read Moreमैंने भी श्यामल ज़ुल्फों में, अपनी शाम गुजारी है मैंने भी रस भरे लबों पर, अपनी ग़ज़लें वारी हैं मैं
Read Moreहम मनुज हैं मनुज का सहारा बनें। डरे डूबे हुओं का किनारा बनें। नर से नारायण बनकर हम सेवा करें।
Read Moreशाम चाय पर आये थे, पर मैंने नही बुलाये थे। लम्हे कुछ भीगे भीगे से, सपने कुछ रीते रीते
Read Moreजब होगा अपने भारत में, उन्नत-सबल किसान। तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।। भ्रष्टाचारी जब खेतों में, कंकरीट नहीं
Read Moreमहक रहा है मन का आँगन, दबी हुई कस्तूरी होगी। दिल की बात नहीं कह पाये, कुछ तो बात जरूरी
Read Moreगुरू तुम्हारे प्यार का उपकार मैं कैसे चुकाऊँ | ज्ञान के अनमोल धन का मोल मैं कैसे चुकाऊँ | गुरु
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