सदाबहार काव्यालय-36
गीत यह देश तेरा भी मेरा भी अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू
Read Moreगीत यह देश तेरा भी मेरा भी अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू
Read Moreकवि नहीं हूं, ना मैं लेखक ना कोई रचनाकार हूँ दिल में उठते भाव बताने का मैं तलबगार हूँ नैनों से मैं
Read Moreबेरुखी का दृश्य यह कैसा तना है अर्थ में ही लिप्त हैं सब प्रेम पर कोहरा घना है। मार महँगाई
Read Moreइच्छा थी इस जग के हेतु, कुछ तो करके जाऊं, और नहीं तो धन्यवाद के , गीत ही कुछ गा
Read Moreमधुर मुझे मन मीत मिला उर का सुमन सप्रीत खिला- कब से थी आकांक्षा आए कोई मन का
Read Moreक्यों ऊसर जमीन पर मैंने, आशाओं के बीज बहाए ? मायामय कुरंग के पीछे, क्यों मन के तुरंग दौड़ाए ?
Read Moreराजपथों ने दिया भरोसा तोड़ दिया है पगडंडी लाचार करे भी तो आखिर क्या ऊजड़ होते गाँव सूखते खलिहानो में
Read Moreबदला हुआ मौसम , बदली सी फिजाएं !! मंदिरों में घंटियां बजने लगी है ! नेताओं की थाल भी
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