गीत “कुदरत ने सिंगार सजाया”
बौराई गेहूँ की काया, फिर से अपने खेत में। सरसों ने पीताम्बर पाया, फिर से अपने खेत में।। हरे-भरे हैं
Read Moreबौराई गेहूँ की काया, फिर से अपने खेत में। सरसों ने पीताम्बर पाया, फिर से अपने खेत में।। हरे-भरे हैं
Read Moreगर प्यार है गुनाह तो मैं गुनाह चाहती हूँ सपनो से भरी आँखों में पनाह चाहती हूँ वो मुराद मेरी
Read Moreढंग निराले होते जग में, मिले जुले परिवार के। देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के।। चमन एक हो किन्तु
Read Moreसुबह सुबह अपने शहर को देखकर मै हैरान था ! सब कुछ बदला हुआ सा देखकर मै परेशान था !!
Read Moreहिम्मत, ताक़त, शौर्य विहंसते, तीन रंग हर्षाये हैं ! सम्प्रभु हम, है राज हमारा, अंतर्मन मुस्काये हैं !! क़ुर्बानी ने
Read More(बंगाल के एक मौलवी द्वारा मोदी जी के मुंडन का फ़तवा ज़ारी करने पर ममता खातून और उनके चेलों को
Read Moreपानी की भर-भर अॅजुलियाॅ जो सींच दे हर पेड़ को, जलती धरा पर नग्न पग से, जोत डाले खेत को–!
Read Moreलो साल पुराना बीत गया। अब रचो सुखनवर गीत नया।। फिरकों में था इन्सान बँटा, कुछ अकस्मात् अटपटा घटा। तब
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