गीत
रात जब भी चाँद का, बेंदा लगाती हैसच कहूँ बस प्रिय ,तुम्हारी याद आती हैउस पहर जब चांदनी, आंगन उतरती
Read Moreगिरकर,एक बार फिर से मुझे सम्भलना है।मुझे निरंतर चलना है,मुझे निरंतर चलना है।। लोभ स्वार्थ बिना,कर्म पथ पर आगे बढ़ना
Read Moreरावण को जिंदा रखना हैफिर अगले साल जलाने को। रहने हैं अत्याचार सभीव्यभिचार बंद मत करना तुम।मत बलात्कार भी बंद
Read Moreदेखो री सखी घर-घर बटत बधाई,रघुवर संघ विराजत सर्व सुहागन सीता माई,सुंदर छवि अंखियन में समाई,जो छवि निरखतकामदेव भी हारे,शोभा
Read Moreमेरा गाँव भी अब शहर हो गया है।प्रकृति से बहुत दूर घर हो गया है। बचपन में खेला, वह पीपल
Read Moreजब तक पीले पात तरू के नहीं झरेंगेंकैसे नव पल्लव जग का सिंगार करेंगे?कल तक जो फूलों की माला गले
Read Moreईश्वर का उपहार प्रकृति को नदिया की धारा कल कल हूंहां मैं जल हूं हां मैं जल हूं जब से
Read Moreराह तुम्हारी तकते-तकते,जाने कितने मौसम बीते! आंखों में हमने बोये थे,साथ-साथ रहने के सपने।किंतु तरुण मन कैसे जाने,सपने कभी न
Read Moreस्वच्छ पर्यावरण में होती जीवन की खुशहाली।खुशबू के संदेश देती फूलों वाली डाली। इस कारण ही कुदरत की मर्यादा में
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